आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत माँ दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा से हुई.भक्तों को इस दिन का इंतजार रहता हैं जिसमें नौ दिन माँ की आराधना की जाती हैं. इसबार यह पर्व सितम्बर महीनें से ही शरू हो गया हैं.हरेक जगह पंडाल सज रहे हैं और लोगों में खुशी का माहौल हैं .यह पूजा खास तौर पर बंगाल ,बिहार ,उत्तर प्रदेश ,सहित अन्य प्रदेशों में भी धूमधाम से मनाई जाती हैं.
प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में-:
दुर्गा माता के नौ रूपो में से पहला शैलपुत्री हैं जिनकी पूजा कलश स्थापना के साथ शुरू हो जाती हैं.
‘वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।’
शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं.यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं.पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है. इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं. यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है.
कई जगहों पर दुर्गापूजा के अवसर पर नाटकों का मंचन भी किया जाता तो बहुत जगहों पर देवी जागरण, रामलीला भी होती हैं.इसी प्रकार से इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं.
प्रशासन के तरफ से भी इस पूजा को लेकर मुस्तैदी बढ़ा दी गई हैं. जिससे किसी आम जनता,श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े.