कई जगहों पर पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटना और भारी बारिश से नदियों के जल स्तर में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही हैं जिससे गंगा सहित अन्य सहायक नदियां अपने उफ़ान पर हैं। गंगा के तटीय इलाकों में बाढ़ की सम्भावना भी बढ़ गई हैं । सूचना मिलने तक बक्सर में कल की अपेक्षा आज पानी मे करीब 13 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई हैं जो कल 59.32 था वह आज 59.450 तक पहुँच गया हैं जो चेतावनी रेखा से ऊपर हैं और जलस्तर का निरंतर बढ़ना जारी हैं।
बिहार जहाँ एक तरफ सूखा झेल रहा हैं वही अब दियारा सहित अन्य क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा भी मड़राने लगा है जिससे खेती बारी सहित जान माल की भी समस्या उत्पन्न हो गई हैं । हालांकि प्रशासन के तरफ से अलर्ट जारी कर दिया गया है । आए दिनों तेजी से पिघल रहे ग्लैशियर और उत्तराखण्ड में बादल फटने की घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ है जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई हैं।
क्या होता हैं बादल फटना..
आसमान से किसी एक जगह पर तेज बारिश हो जाने को ही बादल फटना कहते हैं। बादल फटने से उस इलाके में बाढ़ सी स्थिति बन जाती है।कहीं भी बादल फटने की घटना उस समय होती है जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं. इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश होने लगती है । यह घटना ज्यादातर पहाड़ी इलाको में ही होती हैं। हिमांचल और उत्तराखंड की पहाड़ियों में क्षेत्रीय जलचक्र में बदलाव आना भी बादल फटने का कारण हैं।वही जलवायु परिवर्तन में आ रहे बदलाव के पीछे जंगलों में आग लगना, पेड़ों को कटान, कूड़े-कचरे को खुले में जलाना, पर्यटन स्थलों में अधिक संख्या में वाहनों का आना तथा जंगल में अवैध निर्माण इत्यादि मुख्य कारण हैं।