परिवार का दारोमदार अगर किसी व्यक्ति पर रहता हैं और अगर वह इस दुनिया से विदा हो जाता हैं तो उसके परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ता हैं. ठीक ऐसी ही कहानी चौसा के रहने वाले ललन दुबे के साथ घटी. पिछले दिनों जब वे दिल्ली से वापस रोडवेज से घर आ रहे थे तो उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें उनकी मृत्यु हो गई.
जब यह खबर घर पहुंची तो उनकी पत्नी और बूढ़ी माँ की हालत खराब हो गई क्योंकि वो घर के इकलौते ऐसे बेटे और पति थे जिनपर पूरे घर का दारोमदार था. इनकी दो बेटियां बड़ी बेटी सात वर्ष की और दूसरी चार वर्ष की हैं .इनकी पत्नी पेट से है ऐसी स्थिति में किसी भी परिवार की हालत कैसी होगी यह सोचनीय हैं.
जब इस बात का पता समाजसेवी और प्रतिष्ठित व्यवसायी मिथलेश पाठक को लगी तो वे इसपर संज्ञान लेते हुए आगे आए और पीड़ित एवम बेसहारा परिवार को उनके घर जाकर एक लाख रुपए का चेक प्रदान किया साथ ही परिवार को आगे भी हरेक प्रकार से मदद का भरोसा भी दिलाया.
जब मिथलेश पाठक से इस विषय पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि इसबात की जानकारी उनको सोशल मीडिया के माध्यम से हुई की ऐसी घटना घटित हुई हैं चूंकि उस समय वो बिहार से बाहर थे लेकिन जब वो बक्सर आए तो सबसे पहले परिवार से मिलकर उन्होंने यह कार्य किया और यह बताया कि मैं हमेशा समाज मे असहाय, पीड़ित और शोषण के शिकार लोगो के साथ खड़ा हूँ और उन्होंने इस बात की भी वकालत की कि वेलोग जो सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं उन्हें ऐसे कार्यो में आगे आना चाहिए जिससे पीड़ित को मदद मिल सके.