भारत मे 1952 में ही चीता( जीनस एसिनोनीक्स) को लुप्तप्राय घोषित कर दिया गया था उसके बाद लगभग भारत के किसी भी हिस्से में उसके देखे जाने की खबर नही मिली जिसके बाद ‘प्रोजेक्ट चीता ‘के तहत दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से भारत मे आठ चीते लाए गए हैं जिनमें पांच मादा और तीन नर हैं.
‘प्रोजेक्ट चीता’ भारत के वन्य जीवन में विविधता लाने के लिए सरकार की कोशिशों का एक अहम हिस्सा हैं जिसके तहत यह कार्य किया गया हैं.
इन आठो चीतो को कार्गो एयरक्राफ्ट के जरिए ग्वालियर एयरपोर्ट पर लाया गया जहाँ से इन्हें वायु सेना के हेलीकॉप्टर से कुनो नेशनल पार्क में लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इन्हें छोड़ा गया.
क्यो हैं ये खास:
चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रकायः से हुई है जो हिंदी चीता के माध्यम से आई है और जिसका अर्थ होता है बहुरंगी शरीर वाला .यह ‘एसीनोनिक्स ‘ प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं. इसी कारण, यह इकलौता है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है).ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में 120 कि॰मी॰ प्रति घंटे तक की गति प्राप्त कर लेता है और 460 मी. तक की दूरी तय कर सकता है . मात्र तीन सेकेंड के अंदर ये अपनी रफ्तार में 103 कि॰मी॰ प्रति घंटे का इज़ाफ़ा कर लेता है, जो अधिकांश सुपरकार की रफ्तार से भी तेज़ है।हालिया अध्ययन से ये साबित हो चुका है कि धरती पर रहने वाला चीता सबसे तेज़ जानवर है.
हालांकि इनकी वृद्धि के लिए कुनो नेशनल पार्क में इन्हें छोड़ा गया हैं. इन चीतो की 24/7 मॉनिटरिंग के लिए उनमें रेडियो कॉलर लगाए गए हैं जिनसे इनकी मॉनिटरिंग में आसानी होगी.