महर्षि भृगु की भूमि बलिया में चल रहे लक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के चतुर्मास कार्यक्रम में स्वामी जी के मुखारविंद से रोज शाम 5 बजे भागवत कथा का आयोजन होता हैं जिसमें भक्तगण भक्तिरस में रंगकर भावविभोर हो जाते हैं . आखिर क्यों न हो भागवत कथा ही वैसी हैं .
उसी क्रम में आज स्वामी जी के द्वारा भागवत प्रवचन में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बकासुर वध,कालियादह की कथा का वाचन हुआ जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा मात्र पांच वर्ष की उम्र में ही इन राक्षसों का उद्धार किया .स्वामी जी ने अपनी कथा में आगे बताया कि कालिया नाग जिस यमुना नदी में रहता था उसका पानी जहरीला हो गया था जिससे ग्वालो,गांव वालों ,राहगीरों को पानी पीना मुश्किल हो गया था .जब यह बात भगवान श्रीकृष्ण तक पहुँची तो उन्होंने फैसला किया कि हम इससे लोगो को मुक्ति दिलाएंगे. उसके कुछ ही समय बाद श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में छलांग लगा दी और कालिया नाग को खोजने लगे .जब कालियानाग पत्नी को इनके आने की जानकारी मिली तो उसकी पत्नी ने कहा कि तुम अभी बच्चे हो चले जाओ नही तो जब हमारे पति सो कर उठेंगे तो तुम उनका आहार बन जाओगे. लेकिन श्रीकृष्ण नही माने और इनका सामना कालिया नाग से हो गया .बहूत भयंकर युद्ध के बाद जब कालियानाग अपने अंतिम अवस्था मे चला गया तब उसकी पत्नी और बच्चे प्रभु श्रीकृष्ण के सामने हाथ जोड़कर विनती की और कहा कि मैं विधवा हो जाऊंगी मेरे पति को छोड़ दीजिए तब प्रभु ने उसे जीवनदान देते हुए कहि और जाने की सलाह दी उसी समय कालियानाग उस जगह को छोड़कर चला गया और वहाँ के लोग श्रीकृष्ण का जयजयकार करते हुए खुशी से रहने लगे.ऐसी प्रभु की बहुत कथाए हैं जिसमे राक्षसों का उद्धार और लोगो को अपनी लीला से ओतप्रोत किया हैं.
स्वामी जी ने अपनी कथा में कहा कि व्यक्ति को भावनात्मक और दयावान बनना चाहिए जिससे लोगो को उसके प्रति प्रेम हो और कल्याण की भावना उत्पन्न हो सके .हमे यह कथा बहुत कुछ सिखाती हैं और सन्देश देती हैं.
अपको बताते चले कि जीयर स्वामी जी महाराज का यह चातुर्मास श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के साथ संपन्न होगा जिसका निर्धारण दिनांक 4.10.2022 से 9.10.2022 तक किया गया हैं साथ ही श्रीभाष्यकार श्रीरामानुजाचार्य-सहस्त्राब्दी-महामहोत्सव सह अंतराष्ट्रीय धर्मसम्मेलन का आयोजन 8.10.2022 को रखा गया हैं जिसमे देश-विदेश से साधु संतों सहित ख्यातिलब्ध विद्वान का आगमन सुनिश्चित हुआ है.