आज के समय मे अगर कोई बेबस और लाचार हैं तो वह किसान हैं क्योंकि वह सूखे का भी मार झेल रहा है तो दूसरी तरफ बाढ़ की भयावहता को भी .बेवसी इतनी हैं कि अपने दुःख को किससे बयां किया जाए . आज मंहगाई और बेरोजगारी के इस आलम में सहारा ही कौन हैं.
केंद्र सरकार हो चाहे राज्य सरकार किसानों को समृद्ध करने का ऐलान सिर्फ संसद और विधानसभा तक ही सीमित रह गया हैं धरातल पर सिर्फ बेबसी और मजबूरी. सरकार के द्वारा जिन योजनाओं को किसानों के लिए चलाया जा रहा है वह समय पर उपलब्ध नहीं है और अगर उपलब्ध हैं तो उसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वह पहुंच से दूर हैं.
न किसानों को समय से बीज उपलब्ध हो पा रहे हैं न ही खाद जिससे उनकी की हुई खेती भी लगभग चौपट हो जाती हैं. अगर इन प्रक्रियाओं को किसान अपना जेब खाली करके पार भी कर लेता हैं तो उसे अपने अनाज को औने पौने दामो पर साहूकार और दलालों के माध्यम से बेचना पड़ता हैं क्योंकि उसके कमाई का स्रोत ही यही है जिससे उसे अपने खर्चे चलाना तो मुश्किल वह कर्ज का शिकार हो जाता हैं. दुःख इतना हैं कि उसके लिए समय कम पड़ जाएंगे.
आज के परिदृश्य में जो सूखे की भयावह स्थिति बनी हुई हैं उसको संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हवाई सर्वेक्षण कर यथा पटना, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नवादा जिले में अल्प वर्षापात के कारण उत्पन्न स्थिति का जायजा लिया है और इसके बाद सम्बंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिया हैं.
अब यह देखना होगा कि सरकार इन सूखे और बाढ़ से पीड़ित किसानों के लिए कितना मददगार साबित होती हैं.