व्यापार – News https://theloksamvad.com Hindi News Portal in Bihar Wed, 24 Aug 2022 04:15:10 +0000 en-US hourly 1 क्या मखाना को जीआई टैग मिलने से सुधरेंगी किसानों की स्थिति ,क्यो हैं यह खास https://theloksamvad.com/will-getting-gi-tag-to-makhana-improve-the-condition-of-farmers-why-is-it-special/ https://theloksamvad.com/will-getting-gi-tag-to-makhana-improve-the-condition-of-farmers-why-is-it-special/#respond Wed, 24 Aug 2022 04:15:10 +0000 https://techbuyhelp.com/theloksamvad.com/?p=3442  

भारत सरकार के तरफ से मखाना को जीआई टैग (Geographical indication Tag) मिल गया है.विश्व मे करीब 80 प्रतिशत मखाना भारत मे होता हैं और भारत मे 90 प्रतिशत मखाना सिर्फ बिहार में होता हैं .यह बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सीतामढ़ी, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज मखाने की खेती के लिए विख्यात हैं. मिथिलांचल, कदम कदम पर पोखर ( तालाब), मछली और मखाना के लिए दुनिया में जाना जाता है. इसलिए यह बिहार के किसानों के लिए काफी सुखद खबर हैं.

भारत से मखाना सबसे ज्यादा निर्यात अमेरिका,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम के देशों में किया जाता हैं .इसका निर्यात करीब 100 टन के आस पास रहा.

मखाना प्राकृतिक रूप से शुद्ध आहार माना जाता हैं. इसका उपयोग सबसे ज्यादा व्रत और त्योहारों में किया जाता हैं वही स्नैक्स, चिप्स के रूप में भी इसका उपयोग हो रहा हैं. यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता हैं. 100 ग्राम मखाने से 350 किलो कैलोरी एनर्जी मिलती है. इसमें फैट नाम मात्र का होता है, 70-80 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता हैं 9.7 ग्राम प्रोटीन होता है जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद है, तो वही 7.6 ग्राम फाइबर, 60 मिलीग्राम कैल्शियम और 40- 50 मिलीग्राम पोटेशियम मिलता है, फास्फोरस 53 मिलीग्राम. मखाना से शरीर को जरूरी मिनिरल्स मिलते हैं जो खासतौर पर व्रतियों के लिए फायदेमंद होता हैं.

भारत मे मखाना के शोध संस्थान केवल बिहार के दरभंगा में ही हैं .मखाना की खेती स्थिर जल जमाव वाले क्षेत्र में ज़्यादातर की जाती है. बशर्ते वहां बालू वाली मिट्टी ना हो. ज़रूरी है कि जल जमाव वाली जगह पर कीचड़ भी हो. 3-4 फीट गहराई हो तो ज़्यादा अच्छा होता है.उत्पादकता की बात करें तो तालाब के मुकाबले खेतों में ज्यादा है. तालाब में प्रति हेक्टेयर 20-25 कुंतल मखाना की पैदावार होती है जबकि खेतों में 30-35 कुंतल होता है.
तालाब में मखाना काफ़ी नीचे दबा होता है तो निकालने में दो-तिहाई बीज उसी के भीतर रह जाते है. ऐसे में अलग सीजन में बीज का ख़र्चा बच जाता है. खेतों में कम पानी में मखाना उगाने में घास की समस्या बहुत होती है. तालाब में उस समस्या से बहुत हद तक किसानों को निजात मिल जाता है.

क्या जीआई टैग होगा मददगार

जीआई टैग के लिए बहुत दिनों से किसानों द्वारा अभियान चलाया जा रहा था जो अब जाके सफल हो पाया हैं . मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ ने आवेदन दिया था. इस संघ मे करीब 4000 से ऊपर उत्पादक जुड़े हुए हैं.यहाँ के मखाना उत्पादकों का मानना है कि जीआई टैग मिलने से जितने जागरूक उपभोक्ता होंगे वो मिथिलांचल का मखाना ही ख़रीदना पसंद करेंगे. उनके ब्रांड की नकल कोई दूसरा नहीं कर पाएगा. इससे उनके प्रोडक्ट की माँग बढ़ेगी और लोगों में उनके प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी.

आज की तारीख में मखाना के बड़े लावा की कीमत 500-800 रुपये प्रति किलो है. छोटे लावे की कीमत300-500 रुपये प्रति किलो मिल सकेगा. हालांकि न्यूट्रिशनल वैल्यू दोनों की एक समान ही होती है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. मखाना किसानों को उम्मीद है कि ऐसा होने पर आने वाले दिनों में इसका निर्यात काफ़ी बढ़ जाएगा.

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जानेमाने शेयर कारोबारी राकेश झुनझुनवाला(Rakesh jhunjhunwala)का 62 साल की उम्र में निधन https://theloksamvad.com/renowned-stock-trader-rakesh-jhunjhunwalarakesh-jhunjhunwala-passed-away-at-the-age-of-62/ https://theloksamvad.com/renowned-stock-trader-rakesh-jhunjhunwalarakesh-jhunjhunwala-passed-away-at-the-age-of-62/#respond Sun, 14 Aug 2022 08:05:54 +0000 https://techbuyhelp.com/theloksamvad.com/?p=3387  

भारत के जानेमाने प्रतिष्ठित शेयर कारोबारी राकेश झुनझुनवाला का मुंबई के ब्रिज कैडी हॉस्पिटल में निधन हो गया ,वे 62 साल के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आज सुबह ही स्वास्थ्य खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था,जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुःख व्यक्त किया हैं।
भारत के वारेन बफेट कहे जानेवाले झुनझुनवाला की इसी महीने अकाशा एयरलाइन्स(Akasa Airlines)ने उड़ान भरी थी। कुछ दिनों से उनकी सेहत खराब चल रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने टिवीट में लिखा हैं कि-
“राकेश झुनझुनवाला जिंदादिल, मज़ाकिया और पैनी नज़र रखने वाले शख्स थे,आर्थिक जगत में राकेश झुनझुनवाला ने अपनी अमिट    छाप छोड़ी हैं”

आइए जानते हैं आखिर कौन थे राकेश झुनझुनवाला-:
इनका जन्म 5 जुलाई 1960 को हुआ और ये मुम्बई में पले बढ़े ।उनके पिता एक आयकर अधिकारी थे ।स्टॉक मार्केट में निवेश करने का उनका रुझान किशोरावस्था में ही शुरू हो गया था। ऐसा कहा जाता हैं कि उनके पिता इस बात पर ध्यान देने के लिए कहते थे कि कैसे दिनभर की खबरों और घटनाओं का असर शेयर बाजार पर पड़ता हैं। इनकी पढ़ाई सिडनहैम कालेज में हुई उसी समय से यानि 1985 से ही उन्होंने शेयर बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया था। चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता से शेयर बाजार में निवेश करने के अपने इरादे जाहिर किए तो उनके पिता ने उनसे साफ कहा कि वो उनसे और अपने मित्रों से पैसे नही मांगे।

बताया जाता हैं राकेश झुनझुनवाला ने 5000 रुपये की एक छोटी सी पूंजी से निवेश करना शुरू किया और जानीमानी पत्रिका फोब्स के मुताबिक उनकी पूरी संपत्ति 6 अरब डॉलर यानि कुल संपत्ति करीब 45328 करोड़ रुपये हो गई हैं। फोब्स के मुताबिक उनकी सबसे बड़ी मूल्यवान सूचिबद्ध होल्डिंग टाइटन हैं जो टाटा समूह का हिस्सा हैं। झुनझुनवाला की स्टार हेल्थ इंश्योरेंस,मेट्रो ब्रांड्स और कॉनकॉर्ड बायोटेक जैसी निजी कम्पनियों में भी हिस्सेदारी हैं। साल 1986 में झुनझुनवाला ने एक कम्पनी के 5000 शेयर्स खरीदे ।उन्होंने यह शेयर 43 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे थे लेकिन तीन महीनों में ही एक शेयर की कीमत लगभग 143 रुपये हो गई। इतनी जल्दी अपने निवेश को तीन गुने से भी ज्यादा कर लेना झुनझुनवाला के लिए कामयाबी की पहली सीढ़ी चढ़ने जैसा था।

झुनझुनवाला समय समय पर विवादों में भी रहे हैं इसी साल जुलाई में राकेश झुनझुनवाला उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला और आठ अन्य व्यक्तियों ने एप्टेक लिमटेड के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग(insider trading) से जुड़े एक मामले में 37 करोड़ से भी ऊपर की राशि का भुगतान किया।इस राशि मे सेटलमेंट शुल्क गलत तरीके से अर्जित लाभ का भुगतान और ब्याज भी शामिल था। इनसाइडर ट्रेडिंग व्यापार करने का एक ऐसा जरिया हैं जिसमें गोपनीय जानकारी के ज़रिए अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में व्यापार किया जाता हैं। यह ऐसा पहला मामला नही था ,एक दूसरे मामले में सेबी ने 2018 में एक अन्य कम्पनी में संदिग्ध अंदरूनी व्यापार के लिए पूछताछ की थी।

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राकेश झुनझुनवाला के बारे में कहा जाता हैं कि वो पारस जैसे गुण वाले व्यक्ति थे यानि वो जिस चीज़ को छूते वो सोना बन जाती । इनसे फ़िल्म इंडस्ट्री भी अछूती नही रही , ये की एन्ड का,इंग्लिश विंग्लिश, शमिताभ जैसी फ़िल्मो के निर्माता भी रह चुके हैं।

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